संक्षिप्त विवरण:
वापस जाएंनवम्बर-2004 में विश्व बैंक की सहायता के साथ रोगों के प्रकोप की तीव्रता से जांच एवं प्रतिक्रिया हेतु आई.डी.एस.पी. की शुरूआत की गई थी । मार्च 2010 में यह परियोजना अप्रैल 2010 से मार्च 2012 तक की अवधि हेतु दो वर्ष के लिये बढा दी गई, एन.सी.डी.सी में केन्द्रीय सर्वेक्षण यूनिट एवं 9 अभिन्न राज्यों उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट््र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रा प्रदेश के लिये विश्व बैंक निधि तथा वेस्ट बंगाल एवं शेष 26 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के लिये निधि घरेलू बजट से उपलब्ध थी । कार्यक्रम एन.एच.एम. के अंर्तगत 12वीं योजना ;2012-17द्ध के दौरान घरेलू बजट से रूपये 640 करोड़ केवल के साथ जारी है ।
सभी राज्यों/जिलों एस.एस.यू/डी.एस.यू में सर्वेक्षण इकाईयाॅं स्थापित की गई हैं । राष्ट््रीय रोग नियंत्रण केन्द्र, दिल्ली में केन्द्रीय सर्वेक्षण यूनिट ;सी.एस.यू.द्ध को स्थापित किया गया है ।
सभी 35 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में राज्य/जिला सर्वेक्षण दल एवं शीघ्र प्रतिक्रिया दल को प्रशिक्षण पूर्ण हो चुका है ।
राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के 776 क्षेत्रों में नेशनल इन्फार्मेटिक्स सैंटर ;एन.आई.सीद्ध एवं ;इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशनद्ध की सहायता से आंकड़ों की प्रविष्टियों, प्रशिक्षण, वीडियो कान्फ्रेन्सिंग तथा प्रकोप पर चर्चा करने हेतु सभी राज्यों/जिलों के मुख्यालयों एवं प्रमुख संस्थानों को आई.टी नेटवर्क द्वारा जोड़ा जा रहा है ।
इस परियोजना के अंर्तगत महामारी प्रवृत रोगों संबंधी रोग सर्वेक्षण आंकडे उप-केन्दों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों सरकारी एवं प्राईवेट अस्पतालों एवं मैडिकल कालेजों से साप्ताहिक आधार पर एकत्रित किये जाते हैं । ससी आंकडे़ प्रयोगशाला प्रपत्रों में मामलों के मापदण्ड श्एसश् सिंड््रोम, श्पीश् प्रोबेबल तथा श्एलश् लेबोरेटरी का प्रयोग करते हुए एकत्रित किये जाते हैं । वर्तमान में 90 प्रतिशत जिले साप्ताहिक आंकड़े ई-मेल/पोर्टल द्वारा प्राप्त होते है । रोगों की प्रवृति के विश्लेषण हेतु आंकड़ों की जांच एस.एस.यू/डी.एस.यू. द्वारा की जाती है । जब कभी भी रोगों के बढने का झुकाव हो, तो शीघ्र प्रतिक्रिया दल द्वारा महामारी की निदान एवं रोकथाम हेतु छानबीन की जाती है ।
राज्यों/जिलों को महामारी की सूचना तुरन्त देने को कहा गया है । औसतन प्रत्येक सप्ताह में राज्यों द्वारा 30-40 प्रकोपों के संबंध में सूचित किया जाता है, वर्ष 2008 में राज्यों द्वारा 553 प्रकोपोें की सूचना व प्रतिक्रिया की सूचना दी गई थी, वर्ष 2009 में 799, 2010 में 990, 2011 में 1675, 2012 में 1584, 2013 में 1964, 2014 में 1562 एवं 15 मार्च 2015 तक 311 प्रकोपों की सूचना दी गई ।
जुलाई 2008 में आई.डी.एस.पी. के अंर्तगत मीडिया स्कैनिंग एवं सत्यापन प्रकोष्ठ की स्थापना की गई । इसके द्वारा संबंधित राज्यों/जिलों के साथ प्रतिक्रिया एवं सत्यापन हेतु मीडिया अर्लट्स को सांझा किया जाता है । जुलाई 2008 से नवम्बर 2014 तक कुल 3063 तथा 31 मार्च 2015 तक 122 मीडिया अर्लट्स के संबंध में सूचित किया गया है । प्राप्त अर्लट्स में से अधिकतम डायरिया रोग, फूड पाॅईजनिंग तथा सदिश जनित रोगों से संबंधित होते हैं ।
फरवरी 2008 में रोगों के अर्लट्स प्राप्त करने हेतु टोल फ्री नं. ;1075द्ध की स्थापना की गई । प्राप्त सूचना राज्यों/जिलों की सर्वेक्षण यूनिट्स को प्रतिक्रिया एवं छानबीन हेतु उपलब्घ करवाई जाती है । काॅल सैंटर का वर्ष 2009 में एच.1एन.1 इन्फलूऐन्जा महामारी एवं 2010 में दिल्ली में डेंगू के प्रकोप के समय व्यापक रूप से उपयोग किया गया । प्रारम्भ से 30 जून 2012 तक 2,77,395 काॅल्स प्राप्त हुई जिसमें से 35,866 काॅल्स एच.1एन.1 इन्फलूऐन्जा से संबंधित थी । नवम्बर 2012 से नवम्बर 2013 तक कुल 50,811 काॅल्स प्राप्त हुई जिसमें से 1499 काॅल्स एच.1एन.1 इन्फलूऐन्जा से संबंधित थी ।
महामारी प्रवृत रोगों के निदान हेतु जिला प्रयोगशालाओं को सुदृढ किया जा रहा है । इन प्रयोगशालाओं के प्रबन्धन हेतु संविदा के आधार पर माईक्रोबायोलाॅजिस्ट कार्य कर रहे हैं तथा प्रत्येक प्रयोगशाला के अभिकर्मकों एवं उपभोज्यों के लिये रूपये 2 लाख प्रतिवर्ष का वार्षिक अनुदान दिया जा रहा है । अभी तक 29 राज्यों में ;65 प्रयोगशालाओंद्ध के प्रबन्ध पूर्ण हो चुके हैं । इसके अतिरिक्त, देश में इन्फलूएन्जा सर्वेक्षण हेतु 12 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क विकसित किया गया है ।
9 राज्यों के मैडिकल काॅलेजों तथा राज्यों के विभिन्न मुख्य केन्द्रों में प्रचलित 65 कार्यरत प्रयोगशालाओं को प्रयोग करते हुए निर्देशित प्रयोगशालाओं का नेटवर्क स्थापित किया गया है तथा उन्हें महामारी के दौरान महामारी प्रवृत रोगों के निदान हेतु सेवाऐं उपलब्ध करवाने के लिये साथ-2 मिले हुए जिलों के साथ जोड़ा जा रहा है । प्राप्त अनुभव के अनुसार, शेष 26 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में भी यह योजना लागू की जाएगी । बिहार, आसाम, ओडिशा, त्रिपुरा, केरल, हरियाणा, जम्मू एंड कश्मीर तथा मनिपुर में कुल 23 अभिन्न मैडिकल काॅलेज प्रयोगशालाओं को वर्ष 2012-13 के दौरान साथ-2 मिले हुए राज्यों को सहायता प्रदान करने हेतु नेटवर्क में जोड़ा गया है ।
राज्य एवं जिला स्तर पर एपिडेमियोलाॅजी, माईक्रोबायोलाॅजी तथा एंटोमोलाॅजी के क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यावसायिकों की अनुपल्बधता को ध्यान में रखते हुए स्वा.एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा रोग सर्वेक्षण एवं प्रतिक्रिया प्रणाली को सुदृढ करने के लिये एन.एच.एम. के अंर्तगत प्रत्येक राज्य जिला मुख्यालय में एक एपिडेमियोलाॅजिस्ट, प्रत्येक राज्य के मुक्ष्यालय में एक एंटामोलाॅजिस्ट तथा प्रत्येक राज्य के मुख्यालय में एक माईक्रोबायोलाॅजिस्ट तथा एक एंटोमोलाॅजिस्ट की तैनाती करने हेतु प्रशिक्षित व्यावसायिकों की भर्ती की अनुमति दी गई है । राज्य सर्वेक्षण यूनिट में शालीहोत्री परामर्शदाता के पद हेतु स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की मंजूरी प्राप्त हुई है । 31 मार्च 2015 तक 408 ऐपिडेमियोलाॅजिस्ट, 181 माईक्रोबायोलाॅजिस्ट, 25 एंटोमोलाॅजिस्ट एवं 3 शालीहोत्री परामर्शदाता के पदों पर कार्यरत हैं।